अगर कुछ प्राप्त करना है, तो अर्पित करना सीखो।
इस ज़िन्दगी के दो ही पहलु है, एक जीवन और दूसरा मृत्यु। जब तक इंसान का जीवन है तब तक उसकी ज़िन्दगी में कभी ख़ुशी होती हैं और कभी दुःख होते हैं, और ये संसार का नियम भी है। हालांकि इंसान के जीवन में मुस्कुराहट अनेक रास्तों से आ सकती हैं। लेकिन ज़िन्दगी की असली मुस्कुराहट हमे तभी मिल सकती हैं, जब हम दूसरो के चहरे की मुस्कुराहट की वज़ह बनेंगे। जब हम दूसरो की भलाई के बारे में सोचेंगे। इस संसार में सभी की ज़िन्दगी अलग अलग होती हैं। किसी की ज़िन्दगी आसान होती हैं, और किसी की ज़िन्दगी में बहुत सी मुश्किले होती हैं। हम जिस समाज में रहते हैं, वहाँ अलग अलग तरह के लोग हैं। पर सबसे ज्यादा दर्द उन बच्चों की ज़िन्दगी में है, जो इस दुनिया में बिल्कुल अकेले है। इन बच्चों के वास्तव में माता पिता सिर्फ वो ईश्वर ही है। ईश्वर ने हमे इन बच्चों के माध्यम से ही जीवन की असली खुशी पाने का रास्ता दिया है। हमारे अपने बच्चों की तरह ही इन बच्चों को भी हमारी जरूरत है। इन बच्चों को भी हमारा इंतज़ार रहता है, कि हाँ कोई आएगा इनके लिए भी, इनके सपनों को पूरा करने, इनकी जरूरतों को पूरा करने। इसलिए हमारा आप सब से निवेदन है अपनी ज़िन्दगी के कुछ पल इन बच्चों के लिए जरूर निकालिऐ। अपनी नेक कमाई में से इन बच्चों की ज़रूरतें पूरी करें। इन्हे यथा संभव अपना कीमती समय, कपड़े, भोजन, किताबे आदि देकर इन बच्चों के माध्यम से अपने ईश्वर से मिलिए। इन बच्चों के चहरे की मुस्कुराहट की वज़ह बन कर आप अपनी मुस्कुराहट की वज़ह बन सकते हैं। बच्चे जिस वातावरण में रहते है उसके प्रति वे अधिक संवेदशील होते हैं। इसलिए हमे इन बच्चो को आर्थिक सहायता के साथ हमे बच्चों को एक अच्छा वातावरण देने की जरूरत है और ये तभी संभव हो पाएगा जब हम इन बच्चों को एक स्वतंत्रत एवं प्रतिष्ठापूर्ण वातावरण देंगे। जिससे उनका स्वस्थ रूप से विकास हो सके। ऐसी ही भावनाएं उमड़ती है हमारे दिल में जब हम
एम डी डी बाल भवन के बच्चों को देखते हैं। इन बच्चों के बेहतर हित के लिए हमे बच्चों के विचारों का सम्मान भी करना चाहिए। हमे बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए इनकी शिक्षा आदि से जुड़े अनेक कल्याणकारी योजनाओं की तरफ ध्यान देना है। कृपया यथासंभव दान दे और इन बच्चो की खुशियों का कारण बने ।